उत्तराखंड (भारत) के जंगली फल: एथ्नोबोटैनिकल और औषधीय उपयोग (घिंघारू/घिंगुड- GHIGHARU)

घिंघारू -

वानस्पतिक नाम: पाइराकांथा क्रैनुलता (रोक्सब। ex डी.डॉन) एम.रोएम।

स्थानीय नाम: घिंघारू,घिंगुड

परिवार: रोसेसी

स्थानीय नाम: छोटा सेब, नेपाल फायरथॉर्न

उपयोग: फलों को परिरक्षक बनाया जा सकता है। औषधीय रूप से इसमें कार्डियो-टॉनिक, कोरोनरी वैसोडिलेटर और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त गुण होते हैं। इसका उपयोग हृदय की विफलता, मायोकार्डियल कमजोरी, पैरॉक्सिस्मल टैचीकार्डिया, उच्च रक्तचाप, धमनीकाठिन्य और बर्गर रोग के लिए किया गया है। फलों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट हमारे शरीर में फ्री-रेडिकल्स के दुष्प्रभाव को कम करने, रक्तचाप को बनाए रखने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा फल वृद्ध लोगों में कायाकल्प के लिए सहायक होते हैं, जोड़ों के दर्द को कम करते हैं और क्षुधावर्धक के रूप में कार्य करते हैं। पत्तियों का उपयोग हर्बल चाय, सन बर्न क्रीम और कई चेहरे की क्रीम बनाने में किया जाता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान भारी रक्तस्राव में झाड़ी की छाल का उपयोग किया जाता है। जिन्कगो और पायराकांठा के पत्तों का संयोजन दिमाग के लिए एक टॉनिक है। तना की छाल बुखार विशेषकर मलेरिया में उपयोगी होती है। यह बीटा-कैरोटीन, आयरन, पोटेशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है और इसलिए एक स्वस्थ विकल्प है।

-इसकी पत्तियों से पहाडी हर्बल चाय बनायी जाती है !

– इसके फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है !

-इस वनस्पति से प्राप्त मजबूत लकड़ियों का इस्तेमाल लाठी या हॉकी स्टिक बनाने में किया जाता है!

-फलों में पर्याप्त मात्रा में शर्करा पायी जाती है जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है !

-इस वनस्पति का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है जिससे दांत दर्द में भी लाभ मिलता है !

-इसके फलों से  निकाले गए जूस में रक्त-वर्धक प्रभाव पाया जाता है जिसका लाभ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में काफी आवश्यक माना गया है!

-इसे प्रायः ओर्नामेंटल पौधे के रूप में साज -सजा के लिए ‘बोनसाई’ के रूप में प्रयोग करने का प्रचलन रहा है !

-इस कुल की अधिकाँश वनस्पतियों के बीजों एवं पत्तों में एक जहरीला द्रव्य’हायड्रोजन-सायनायड’ पाया जाता है जिस कारण इनका स्वाद कडुआ होता है एवं इससमें एक विशेष प्रकार की खुशबू  पायी जाती हैI  अल्प मात्रा में पाए जाने के कारण यह हानिरहित होता है तथा श्वास-प्रश्वास की क्रिया को उद्दीपित करने के साथ ही पाचन क्रिया को भी ठीक करता है I

-घिंघारू के बीजों एवं पत्तियों में पाए जानेवाले जहरीले रसायन  “हायड्रोजन सायनायड” के कैंसररोधी प्रभाव भी देखे गए हैं लेकिन अधिक मात्रा में इनका सेवन श्वासावरोध उत्पन्न कर सकता है  

(In English)

GHIGHARU - 

Botanical name: Pyracantha crenulata (Roxb. ex D.Don) M.Roem.

Local name: Ghigharu

Family: Rosaceae

Local name: Chhota seb, Nepal firethorn

Ehanobotanical uses: Fruits can be made into a preservative. Medicinally it has cardio-tonic, coronary vasodilator and hypertensive properties. It has been used for cardiac failure, myocardial weakness, paroxysmal tachycardia, hypertension, arteriosclerosis and Burgor’s disease. The anti-oxidants present in fruits are helpful in reducing the ill-effects of free-radicals in our body, maintain blood-pressure and reduce cholesterol. Apart from this the fruits are helpful for rejuvenation in aged people, reduce joint pains and act as appetizer. The leaves are used in the preparation of herbal tea, sun burn creams and many facial creams. The bark of the shrub is used in heavy bleeding during menstrual cycles. A combination of Ginkgo and Pyracantha leaves are a tonic to mind. The stem bark is useful in fevers especially malaria. It is rich is beta-carotene, iron, potassium, and anti-oxidants and therefore a healthy choice.

(In Spanish)

GHIGHARU -

Familia: Rosaceae

Nombre local: Chhota seb, Nepal firethorn

Usos eólicobotánicos: Las frutas se pueden convertir en conservantes. Medicinalmente tiene propiedades cardio-tónicas, vasodilatadoras coronarias e hipertensivas. Se ha utilizado para la insuficiencia cardíaca, debilidad miocárdica, taquicardia paroxística, hipertensión, arteriosclerosis y enfermedad de Burgor. Los antioxidantes presentes en las frutas son útiles para reducir los efectos nocivos de los radicales libres en nuestro cuerpo, mantener la presión arterial y reducir el colesterol. Aparte de esto, las frutas son útiles para el rejuvenecimiento en personas mayores, reducen los dolores en las articulaciones y actúan como aperitivo. Las hojas se utilizan en la preparación de té de hierbas, cremas para quemaduras solares y muchas cremas faciales.La corteza del arbusto se utiliza en el sangrado abundante durante los ciclos menstruales. Una combinación de hojas de Ginkgo y Pyracantha son un tónico para la mente. La corteza del tallo es útil en las fiebres, especialmente la malaria. Es rico en betacaroteno, hierro, potasio y antioxidantes y, por lo tanto, es una opción saludable.

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